जाग उठी नारी शक्ति‘नारी’ और ‘शक्ति’
शब्दों को एक-दूसरे का पर्याय कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि यह नारी
की ही शक्ति है कि वह अपने जैसे नर-नारियों को जन्म देती है। जब नारी के साथ ‘शक्ति’
शब्द जुड़ जाता है तो वह दुर्गा का साक्षात् अवतार ही बन जाती है और उसमें घर, समाज
व दुनिया में व्याप्त बुराइयों के विरुद्ध लड़ने की एक अदम्य शक्ति उत्पन्न हो जाती
है।कहते हैं, अत्याचार की अति एक क्रांति को, एक नव-परिवर्तन को जन्म देती है।
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